लेखनी प्रतियोगिता -03-Jun-2023

नजरो से नज़र मिले शबाब आ जाने दे 

जज़्बात बनकर  ये सैलाब आ जाने दे.....

इश्क की कहानी भी कुछ कहती  है 
ज़रा अपने दिल का ज़बाब आ जाने दे.....

वास्तविकता को बदलते देर नहीं लगती 
अपनी नींदों में ज़रा ख़्वाब आ जाने दे....

उलझन में डालेगा ये मोहब्बत का गणित 
चाहतों का मौसम बेहिसाब आ जाने दे.....

कब तक रोक पायेगी नदी खुद को भला 
किनारे तक सागर का बहाव आ जाने दे....

इस मंजिल की कहानी भी अजीब लगती है
अनजान बनकर अपने सफर तक आ जाने दे....

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8 Comments

Punam verma

04-Jun-2023 09:35 AM

Very nice

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Abhinav ji

04-Jun-2023 08:56 AM

Very nice 👍

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बहुत ही खूबसूरत रचना

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